Monday, April 29, 2013

क्या कह दूं ?

क्या कह दूं ?


चढ़ता हुआ सूरज कह दूं या लालिमा बिखेरती चन्द्रमा कह दूँ ,
खिलता हुआ फूल कहूँ या चंचल  धुप कहूँ ,
चिड़ियों का चहकना देखूं और ऊँचे बरगद की छाव देखूं ,
मुसाफीरों की चाल  देखूं या मंजिल की राह तकूँ ||

बच्चों की अटखेलियाँ देखूं या झूमता मल्हार देखूं ,
महकते खेत में झूमते फसल की लहर देखूं ,
और समुंदर की मस्ती को क्या कह दूँ  ,
अंत कहूँ की अंत की शुरुवात कह दूँ  ||

उसके प्यार को क्या कह दूं ,
और उसके इन्तेजार को क्या नाम दूं ,
उसकी चंचलता की तारीफ करूँ  या उससे प्यार करूँ ,
क्या करूँ ,क्या कह दूँ ||

2 comments:

  1. kya keh dun...acha kahun ya bahut acha keh dun.....hehe...:)

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    1. pallavi,
      kuch bhi keh do.hehe.
      Thanks for visiting and much needed appreciation.

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