क्या कह दूं ?
चढ़ता हुआ सूरज कह दूं या लालिमा बिखेरती चन्द्रमा कह दूँ ,
खिलता हुआ फूल कहूँ या चंचल धुप कहूँ ,
चिड़ियों का चहकना देखूं और ऊँचे बरगद की छाव देखूं ,
मुसाफीरों की चाल देखूं या मंजिल की राह तकूँ ||
बच्चों की अटखेलियाँ देखूं या झूमता मल्हार देखूं ,
महकते खेत में झूमते फसल की लहर देखूं ,
और समुंदर की मस्ती को क्या कह दूँ ,
अंत कहूँ की अंत की शुरुवात कह दूँ ||
उसके प्यार को क्या कह दूं ,
और उसके इन्तेजार को क्या नाम दूं ,
उसकी चंचलता की तारीफ करूँ या उससे प्यार करूँ ,
क्या करूँ ,क्या कह दूँ ||
kya keh dun...acha kahun ya bahut acha keh dun.....hehe...:)
ReplyDeletepallavi,
Deletekuch bhi keh do.hehe.
Thanks for visiting and much needed appreciation.